कृषक श्री दीनदयाल यादव ग्राम - बहेराडीह, तहसील – बलोदा,जिला – जांजगीर चांपा,छत्तीसगढ़ का निवासी हैं | इनकी उम्र लगभग 45 साल की है,तथा इन्होने अपनी प्राम्भिक शिक्षा गाँव में ही पूर्ण की ,तथा आज ये प्रगतिशील किसानो में जाने जाते है, इन्होने जविक खेती व उद्यानिकी में एक मिशाल कायम कि हैं , खेती में अपने अलग- अलग आईडिया से किसानो ने अपने आय को बढ़ते हुए खास पहचान बना ली हैं |
दीनदयाल ने अपने घर की छत पे फूलो और सब्जियो की खेती की हैं ,इसमें छत्तीसगढ़ की 36 लोकल भाजी , औषधि, के साथ- साथ सजावटी फूलो समेत अनेक पौधे जैसे अंजीर,अंजवाइन,सफ़ेद गेंदा,चिता,रामफल,करोंदा,सीडलेस नीबू, इन सभी पौधे को लगाने के साथ - साथ पौधे की ग्राफ्टिंग कर के व जैविक खाद वर्मी कम्पोस्ट कीटाणुनाशक नीम सार और फफूंद नाशक ट्रायकोडर्मा का निर्माण कर रहे हैं। इनका उपयोग वे अपनी फसलों के लिए करते हैं साथ ही जैविक खेती करने के इच्छुक दूसरे किसानों को भी बेचते हैं, इससे उन्हें हर वर्ष अतिरिक्त आमदनी हो जाती है। इनकी बागवानी को देखकर दुसरे किसान भी प्रेरित हो रहें है , दीनदयाल यादव ने बागवानी खेती की शुरुआत उतराखंड के किसान को देखकर बागवानी करनी की सोची और आज बड़े स्तर पर खेती क्र बागवानी एक्सपर्ट बन चुके हैं, तथा दीनदयाल लगातार खेती कार्यों में प्रयोग करते रहते हैं, वैसे दुसरे किसान भी अपनी आय बढ़ाने के लिए दीनदयाल से मार्गदर्शन ले रहें हैं |
उन्नतशील किसान दीनदयाल यादव ने बताया कि गांव के अनेक किसान खुद के उपयोग के लिए जैविक विधि से अनाज का उत्पादन कर रहे हैं, अगर उन्हें जैविक अनाज का अच्छा बाजार उपलब्ध हो जाए तो उनके गांव में जैविक खेती का रकबा भी कई गुना बढ़ जाएगा। साथ ही अन्य किसानों को भी इस विधि से फसल लगाने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने बताया जैविक खेती से भूमि की उर्वरा शक्ति बनी रहती है और इस विधि से तैयार अनाज अधिक पौष्टिक और स्वादिष्ट होता है। इससे पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचता है, जबकि रासायनिक खादों के अधिक उपयोग से भूमि की उर्वरा क्षमता को क्षति पहुंचती है। उन्होंने बताया कि नीम सार के उपयोग से फसलों में चलने वाले कीड़े माहों, तितली, फांफा आदि नष्ट हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि धान में बाली आने से पहले घर में तैयार वर्मीवाश के छिड़काव से धान की बाली पौष्टिक और मजबूत रहती है, बदरा भी नहीं होता। इसी प्रकार कृषि विज्ञान केन्द्र से कल्चर प्राप्त कर घर में ही फफूंद नाशक ट्रायकोडर्मा बनाया जा सकता है। ट्रायकोडर्मा से फफूंद, गलन, चर्पा और झुलसा जैसी कई प्रकार की बीमारियां से मुक्ति मिल जाती है।
वर्मी वाश ड्रम में जिसमें बनाई जा रही है जैविक खाद।
क्या कहते हैं किसान
गांव के किसान राजा राम यादव गनपत यादव ईश्वर प्रसाद और इलेराम यादव ने बताया कि वे लोग खेती के लिए स्वयं ही गांव में जैविक खाद और कीटाणुनाशक तैयार करते हैं, अपने फसलों में इनका उपयोग करते हैं और साथ ही इन उत्पादों की बिक्री भी करते हैं। दीनदयाल ने बताया कि जीरो बजट में घरेलु कीटाणुनाशक नीम सार आसानी से घर में बनाया जा सकता है। नीम सार के लिए नीम, करंज धतुरा, आंक, कनेर, नेगुर और सीताफल के पत्ते आदि गांव में ही आसानी से मिल जाते हैं इसलिए इसे तैयार करने में कोई खास लागत नहीं आती हैं,
तथा इस तरह दीनदयाल यादव एक सफल प्रगतिशील किसान व प्रेरणा श्रोत बन पाए;
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